उसे ज़िन्दगी से कोई और शिकायत क्या होगी।
दोस्ती में दोस्त दोस्त का ख़ुदा होता है,
उसकी इज्ज़त मोहब्बत से भी ज्यादा की जाती है
मेरी हसरत थी हमेशा से खुदा से मिलने की दोस्त
उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है, उनके इंतजार में दिल तरसता है, क्या कहें इस कम्बख्त दिल को.. अपना हो कर किसी और के लिए धड़कता है।
कौन कहता है कि दोस्ती बराबरी में होती है
आदत बदल दू कैसे तेरे इंतेज़ार की, ये बात अब नही dosti shayari है मेरे इकतियार की, देखा भी नही तुझ को फिर भी याद करते है, बस ऐसी ही खुश्बू है दिल मे तेरे प्यार की.
कभी दिल पर हाथ रख कर पूछना की कसूर किसका था!
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है.
पर कुछ अच्छे यारो को भुलाना हमे आता नही।
मोहब्बत तो सिर्फ एक इत्तेफाक है, ये तो दो दिलों की मुलाकात है, मोहब्बत ये नहीं देखती कि दिन है या रात है, इसमें तो सिर्फ वफादारी और जज़्बात है।
और कुछ की तो दोस्ती से ही ज़िन्दगी बदल जाती है।
जैसे-जैसे दोस्तों को आजमाता जा रहा हूँ।
ये ऐसा लफ्ज है जिस की वजाहत दूर नहीं होती